Saturday, May 23, 2015

तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (राहत इन्दौरी)

बरसात का मौसम, यहाँ हम यहाँ तुम
सजनी को मिल गए साजन साजन साजन

तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है
क्या चीज़ हो तुम ख़ुद तुम्हे मालूम नहीं है
लाख़ों हैं मगर तुमसा यहाँ कौन हसीं है
तुम जान हो मेरी तुम्हे मालूम नहीं है

सौ फ़ूल खीलें जब ये खिला रुप सुनहरा
सौ चाँद बने जब ये बना चाँद सा चहेरा
इतना भी कोई प्यार की राहों में ना गुम हो
बस होश है इतना की मेरे साथ में तुम हो
मेरे साथ में तुम हो, मेरे साथ में तुम हो

धड़कन है कहीं दिल है कहीं जान कहीं है
तुम जान हो मेरी तुम्हे मालूम नहीं है
ये चाँदनी इन आँखों का साया तो नहीं है
क्या चीज़ हो तुम ख़ुद तुम्हे मालूम नहीं है 

ये होंठ ये पलकें ये निगाहें ये अदाएँ
मिल जाये ख़ुदा मुझको तो मैं ले लूँ बलाएँ
दुनिया का कोई गम भी मेरे पास न होगा
तुम साथ चलोगे तो ये एहसास न होगा
एहसास न होगा, एहसास न होगा

आकाश है पैरों में हमारें के जमीं हैं
तुम जान हो मेरी तुम्हे मालूम नहीं है
एसा कोई महबूब जमानें में नहीं है
क्या चीज़ हो तुम ख़ुद तुम्हे मालूम नहीं है

गीतकार: राहत इन्दौरी, फ़िल्म: खुद्दार (1994), संगीत: अनु मलिक

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