उधार की ज़िंदगी
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा?
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Tuesday, June 23, 2015
या तो कुबूल कर मेरी कमजोरियों के साथ (दीक्षित दनकौरी)
या तो कुबूल कर मेरी कमजोरियों के साथ
या छोड़ दे मुझे मेरी तन्हाइयों के साथ
लाज़िम नहीं कि हर कोई हो कामियाब ही
जीना भी सीख लीजिए नाकामियों के साथ
(दीक्षित दनकौरी)
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