ગાલગાગા ગાલગાગા ગાલગાગા ગાલગા
(21)
یوں بچھڑنا بھی مرا آساں نہ تھا اس سے مگر
جاتے جاتے یس کا وہ مڑ کر دوبارا دیکھنا
यूँ बिछड़ना भी मेरा आसाँ न था उस से मगर,
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
- परवीन शाकिर
(22)
कह रहा है शोर-ए-दरिया से समंदर का सुकूत,
जिसका जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो खामोश है
- नतिक़ लख़नवी
(23)
فاصلے ایسے بھی ہوں گے یہ کبھی سوچا نہ تھا
سامنے بیٹھا تھا میرے اور وہ میرا نہ تھا
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
- अदीम हाशमी
(24)
इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह
اتفاق اپنی جگہ خوش قسمتی اپنی جگہ
خود بناتا ہے جہاں میں آدمی اپنی جگہ
Anwar Shuoor
(25)
आ गए सूए हरम वाईज़ के बहकाने से हम
वर्ना राज़ी हम से बूतखाना था, बूतखाने से हम
آ گئے سوئے حرم واعظ کے بہکانے سے ہم
ورنہ راضی ہم سے بت خانہ تھا، بت خانے سے ہم
Unknown
(25)
आ गए सूए हरम वाईज़ के बहकाने से हम
वर्ना राज़ी हम से बूतखाना था, बूतखाने से हम
آ گئے سوئے حرم واعظ کے بہکانے سے ہم
ورنہ راضی ہم سے بت خانہ تھا، بت خانے سے ہم
Unknown
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