उधार की ज़िंदगी
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा?
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Thursday, April 23, 2015
रश्क कहता है के उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़...अक़्ल कहती है के वो बे-मेहर किस का आश्ना (ग़ालिब)
Source: http://rekhta.org
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