(1)
हम तौर-ए-इश्क़ से तो वाक़िफ़ नहीं हैं लेकिन
सीने में जैसे कोई, दिल को मला करे है
-मीर तक़ी मीर
(2)
तुम फिर उसी अदा से अँगड़ाई ले के हँस दो
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
- शकील बदायुनी
(3)
(3)
اول تو تھوڑی تھوڑی چاہت تھی درمیاں میں
پھر بات کہتے لکنت آنے لگی زباں میں
अव्वल तो थोड़ी थोड़ी चाहत थी दरमियाँ में
फिर बात कहते लुक्नत आने लगी ज़बाँ में
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
(4)
اک بار اس نے مجھ کو دیکھا تھا مسکرا کر
اتنی تو ہے حقیقت باقی کہانیاں ہیں
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर
इतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
- मेला राम वफ़ा
(4)
اک بار اس نے مجھ کو دیکھا تھا مسکرا کر
اتنی تو ہے حقیقت باقی کہانیاں ہیں
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर
इतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
- मेला राम वफ़ा
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