कविता या गीत की हास्य नकल जिसे कहते है एसी कुछ पैरोडी प्रस्तुत करता हूँ। इस में आज के युवा में काफी लोकप्रिय आइ फोन 5 और फेसबुक को भी समाविष्ट किया गया है ।
(1) फेसबुक:
मशहूर व्यंगकार अशोक चक्रधर जिसे मुखपुस्तक कहते है वह फेसबुक ने तो पूरी दुनिया को क्रेज़ी किया रे ! एक बार आप यहाँ अपना ख़ाता खोल दे और हमउम्र या हमशौकीन मित्रो से संपर्क बनाना शुरू करे उसके बाद लाइक, कामेन्ट के दलदल की गहराई में आप दिनबदिन उतरतें जाते है । स्टेटस अप्डैट करने की एक ख़ुजली होनी शुरु हो जाती है और अगर आपके अप्डैट को कोई कम लाइक्स या कामेन्ट देकर नज़रअंदाज कर दें तो दिल पे बिज़ली गिरती है ! प्रस्तुत है कुछ फेसबुक से सम्बन्धित पैरोडी:
सुभाष चंद्र बोस का मशहूर नारा "तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा" आज के सन्दर्भ में बदलकर कुछ एसा हो गया है : तुम मुझे कामेन्ट दो, मैं तुम्हे लाइक दूंगा !
एक हिन्दी गीत "तुम्हारा प्यार चाहिए... मुझे ज़ीने के लिए" अब कुछ इस तरह से भी गा सकते है :
तुम्हारी LIKE चाहिए... मुझे comment करने के लिए!
शायर निदा फ़ज़ली का शेर है:
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है थोडे दिन किताबो को हटा कर देखो....
काफ़ी सारे दिन फेसबुक पर गुज़ार कर ब्रैक लेकर हम कह सकतें है कि:
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है थोडे दिन फेसबूक को हटा कर देखो....
एक मशहूर हिन्दी गाने के बोल बदल कर मैंने कुछ इस प्रकार से अपना वर्चूअल प्यार माँगा है:
प्रोफाइल पे टाइम्लाइन लपेटे हुए....
ओ जान-ए-तमन्ना किसे टॅग कर रही हो...
जरा पास आओ, तो लाइक आ जाये....
ओ जान-ए-तमन्ना किसे टॅग कर रही हो...
जरा पास आओ, तो लाइक आ जाये....
एक हिन्दी फ़िल्म में नायक को मार दिया जाया या छोड़ दिया जाये इन दो विकल्प के बारे में एक हसीना मनमोहक अदाओँ से गाना गा कर पूछ रही है । फेसबुक के परिप्रेक्ष्य में इसे मैंने इस तरह से प्रस्तुत किया है:
टैग किया जाय या ग्रुप में ऎड किया जाय
बोल तेरे साथे क्या सुलूक किया जाय
(2) आइफोन 5:
1964 में लीडर फ़िल्म का ललित राग में एक गाना था : एक शहेनशाह ने बनवा के हसीन ताजमहल.....सारी दुनियाँ को मोहब्बत की निशानी दी हैं।
साहिर लुधियानवी ने इस की पैरोडी लिखी:
एक शहनशाह ने दौलत का सहारा लेकर,
हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक!
अब इस पैरोडी की भी पैरोडी प्रस्तुत है:
एक कंपनी ने आइफोन 5 बाज़ार में लॉन्च कर,
गरीबो के फोन कन्फिग्यरेशन का उड़ाया है मज़ाक!
(3) इन्डीअन हाकी:
पुरुष प्रधान समाज में नारी की लाचारी को यह कविता बयाँ करती है:
अबला जीवन हाय! तुम्हारी यही कहानी,
आँचल में है दूध और आँखों में पानी!
विश्वकप हो या ओलिंपिक हो, हर बार सातवे या आठवें स्थान के लिए खेलती इन्डीअन हाकी टीम के लिए कह सकतें है कि:
इन्डीएन हॉकी हाय ! तुम्हारी यही कहानी.
फिर 7वें-8वें नंबर के लिए मैच है खेलनी...
(4) SMS:
जिस तरह इ-मेल के चलते हस्तलिख़ित पत्रों की बोलबाला कम होने लगी, और मेसिन्जर के कारण इ-मेल में लोगों की दिलचश्पी कम हुई, इसी तरह आज WhatsApp से मुफ़्त संदेश भेजने की सुविधा के कारण SMS भेजने का क्रैज़ काफी हद तक कम हुआ है। लेकिन एक समय था जब मुफ़्त SMS की स्कीम वालें मित्र दिन में सैंकडो संदेश भेज़कर सिरदर्द बढाते रहते थे । एक दिन ऎसे ही एक वर्चूअल मित्र से तंग आ कर मैंने लिख़ दिया था कि SMS के आतंकवाद से पीछा छुड़ाने का आविष्कार जो भी करे उसे तत्काल शांति का नोबल पारितोषिक दे देना चाहिए ।
"ज्योत से ज्योत जलाते चलो" गाने की तर्ज पर मैंने लिखा:
SMS पे SMS करते चलो..... Chain SMS की गंगा बहाते चलो.....
(5) अरैन्ज्ड मेरिज और लव मेरिज की तुलना:
Love Marriage के लिए गा सकते है कि:
ना उम्र की सीमा हो.. ना जन्म का हो बंधन....
जब प्यार करे कोई...तो देखे केवल मन....
अरैन्ज्ड मेरिज के लिए कह सकते है कि:
उम्र की सीमा हो.. और जन्म का हो बंधन....
जब प्यार करे कोई...तो देखे केवल धन....
अंत में, भूकंप हो या कोई चार-पाँच या ज्यादा मंजिला इमारत ढेर हुई हो, मलबे में फँसे हुए शब ढूँढने की और मृतको के लिए आश्वासन के शब्द ढूँढने की कवायत अक्सर शुरु हो जाती है । प्रस्तुत है आशाजी का गाया हुआ एक मशहूर गीत और उसके शब्द की पैरोडी:
पर्दे में रहने दो, पर्दा न हटाओ,
पर्दा जो हट गया हो भेद ख़ुल जायेगा
अल्लाह मेरी तौबा..अल्लाह मेरी तौबा...
मलबे में रहने दो, मलबा न हटाओ,
मलबा जो हट गया तो शव दिख जायेगा...
अल्लाह मेरी तौबा..अल्लाह मेरी तौबा...
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