दिल चीज क्या है, आप मेरी जान लीजिये
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये
इस अंजुमन में आप को आना है बार बार
दीवार-ओ- दर को गौर से पहचान लीजिये
माना के दोस्तों को नहीं, दोस्ती का फांस
लेकिन ये क्या के गैर का एहसान लीजिये
कहिये तो आसमां को जमीन पर उतार लाये
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
Lyricist : Shaharyaar, Singer : Asha Bhosle, Music Director : Khayyam, Movie : Umrao Jaan (1981)
આ ગીતની શરૂઆત પહેલાં નવોદિત શાયરા રેખા અને પીઢ શાયર એ.કે. હંગલ વચ્ચે મત્લાનો શેર સુધારવા બાબતે સુંદર ચર્ચા થાય છે એના ડાયલોગ માણવા જેવા છે:
रेखा: मौलवी साहब,
ए.के. हंगल: हाँ..... एक और गझल कह ली? भाई! माशाअल्लाह! क्या रफ़्तार है! सुनाओ...
रेखा: दिल ही नहीं हुज़ूर, मेरी जान लीजिये।
बस, एक बार मेरा कहा मान लीजिये।
ए.के. हंगल: वाह ! हम्म..... मत्ला बुरा नहीं है। लेकिन दो बातों का ध्यान रखा करो।
रेखा: जी...
ए.के. हंगल: ख़याल की नज़ाकत और दूसरे....अल्फ़ाज़ की बंदिश। मीर का एक शेर है: नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए......नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए......पंखुड़ी इक गुलाब की सी है!
नसीरुद्दीन शाह: वाह...
रेखा: वाह...
नसीरुद्दीन शाह: वाह...लेकिन मौलवी साहब, आप तो उस्तादों की बात कर रहे हैं। इन्होनें तो अभी शुरु की है शायरी...
रेखा: मत्ले की इस्लाह कीजिए ना मौलवी साहब!
ए.के. हंगल: अच्छा...तुमने कहा है...दिल ही नहीं हुज़ूर, मेरी जान लीजिये। दिल ही नहीं हुज़ूर......इसके बदले यूँ कहो ना... दिल चीज क्या है, आप मेरी जान लीजिये.....हँ..... दिल चीज क्या है, आप मेरी जान लीजिये....बस, एक बार मेरा कहा मान लीजिये!
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