बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ के कुछ उदाहरण. भाग-2. 1212 1122 1212 22
(11)
نتیجہ ایک سا نکلا دماغ اور دل کا
کہ دونوں ہار گئے امتحاں میں دنیا کے
اعجاز گل
नतीजा एक सा निकला दिमाग़ और दिल का
कि दोनो हार गए इम्तिहाँ में दुनिया के
एजाज़ गुल
(12)
نہیں ضرور کہ مر جائیں جاں نثار تیرے
یہی ہے موت کہ جینا حرام ہو جائے
नहीं ज़रूर कि मर जाएँ जाँ-निसार तेरे
यही है मौत कि जीना हराम हो जाए
फ़ानी बदायुनी
(13)
یہ دل عجیب ہے اکثر کمال کرتا ہے
جواب جن کا نہیں وہ سوال کرتا ہے
ये दिल अजीब है अक्सर सवाल करता है
जवाब जिन का नहीं वो सवाल करता है
- पिन्हान
(14)
ابھی تو چاک پہ جاری ہے رقص مٹی کا
ابھی کمہار کی نییت بدل بھی سکتی ہے
अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का,
अभी कुम्हार की नीयत बदल भी सकती है
- अलीना इतरत
(15)
ہزاروں کام محبت میں ہیں مزے کے داغؔ
جو لوگ کچھ نہیں کرتے کمال کرتے ہیں
हज़ारों काम मुहब्बत में हैं मज़े के "दाग़"
जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
- दाग़ दहलवी
(16)
بس اک جھجک ہے یہی حال دل سنانے میں
کہ تیرا ذکر بھی آئے گا اس فسانے میں
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
- कैफ़ी आज़मी
(17)
غم زمانہ تری ظلمتیں ہی کیا کم تھیں
کہ بڑھ چلے ہیں اب ان گیسوؤں کے بھی سائے
ग़म-ए-ज़माना तिरी ज़ुल्मतें ही क्या कम थीं
कि बढ़ चले हैं अब इन गेसुओं के भी साए
- हाफ़िज़ होशियारपुरी
(18)
نہیں نگاہ میں منزل تو جستجو ہی سہی
نہیں وصال میسر تو آرزو ہی سہی
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
(19)
کسی کو اپنے عمل کا حساب کیا دیتے
سوال سارے غلت تھے جواب کیا دیتے
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
- मुनीर नियाज़ी
(20)
وہ لوگ جن سے تری بزم میں تھے ہنگامے
گئے تو کیا تری بزم خیال سے بھی گئے
वो लोग जिन से तेरी बज़्म में थे हंगामे
गए...तो क्या तेरी बज़्म-ए-ख़याल से भी गए
- अज़ीज़ हामिद मदनी
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