जो सीखा चुटकी भर सीखा, धरती भर है बाक़ी,
उस पर अहंकार दिखलाना, है ये सीख कहां की?
इल्मों के मैख़ानें से जितना चाहो पी डालो,
हर दम रहता खुला और हर पल तत्पर है साकी!
(अशोक चक्रधर)
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