1222 1222 122 (લગાગાગા લગાગાગા લગાગા)
पसारूँ हाथ क्यों आगे किसी के?
तरीक़े और भी है ख़ुदकुशी के
उजालों ने तो बस तोहमत लगाई
करम हम पर रहे हैं तीरगी के
अधूरे ही सफ़र से लौट आए
कहाँ तक साथ चलते अजनबी के
ग़नीमत है कि तिनका मिल गया था
नहीं तो खो गए होते कभी के
तवक़्क़ो सबसे रखता है मदद की
कभी तो काम आ तू भी किसी के
(दीक्षित दनकौरी)
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