बहरे रमल मुसम्मन महज़ूफ़ के कुछ उदाहरण : भाग-2
(11)
ચાહવામાં હૂંફ છે કેવળ અમુક માત્રા સુધી
એ પછી તો માત્ર આડેધડ દઝાતું હોય છે.
- હેમેન શાહ
(12)
શકય હો તો એક બે ભૂલો નજર -અંદાજ કર,
એમની પાછળ કદી માણસ મજાનો હોય છે.
- હિમાંશુ ભટ્ટ
(13)
ज़िंदगी अपनी मुसलसल चाहतों का इक सफ़र
इस सफ़र में बार-हा मिल कर बिछड़ जाता है वो
زندگی اپنی مسلسل چاہتوں کا اک سفر
اس سفر میں بارہا مل کر بچھڑ جاتا ہے وہ
- इब्राहीम अश्क
(14)
اب یہ عالم ہے کہ غم کی بھی خبر ہوتی نہیں
اشک بہ جاتے ہیں لیکن آنکھ تر ہوتی نہیں
अब ये आलम है कि ग़म की भी ख़बर होती नहीं
अश्क बह जाते हैं लेकिन आँख तर होती नहीं
- क़ाबिल अजमेरी
(15)
ایک ایسی بھی تجلی آج مےخانے میں ہے
لطف پینے میں نہیں ہے بلکہ کھو جانے میں ہے
एक ऐसी भी तजल्ली आज मय ख़ाने में है
लुत्फ़ पीने में नहीं है बल्कि खो जाने में है
- असग़र गोंडवी
(16)
وہ نہ آئےگا ہمیں معالوم تھا اس شام بھی
انتظار اس کا مگر کچھ سوچ کر کرتے رہے
वो न आएगा हमें मालूम था उस शाम भी,
इंतिजार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
- परवीन शाकिर
(17)
نیند اس کی ہے دماغ اس کا ہے راتیں اس کی ہیں
تیری زلفیں جس کے بازو پر پریشاں ہو گئیں
नींद उस की है दिमाग़ उस का है रातें उस की हैं
तेरी ज़ुल्फ़ें जिस के बाज़ू पर परेशाँ हो गईं
- मिर्ज़ा ग़ालिब
(18)
لوگ ملبوں میں دبے سائے بھی دفنانے لگے
زلزلہ اہل زمیں کو بدحواسی دے گیا
लोग मलबों में दबे साए भी दफ़नाने लगे
ज़लज़ला अहल-ए-ज़मीं को बद-हवासी दे गया
- मोहसीन नक़वी
(19)
گو مجھے احساس_تنہائی رہا شدت کے ساتھ
کاٹ دی آدھی صدی ایک اجنبی عورت کے ساتھ
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ
काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ
- अनवर शऊर
(20)
گو ذرا سی بات پر برسوں کے یارانے گئے
لیکن اتنا تو ہوا کچھ لوگ پہچانے گئے
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
- ख़ातिर ग़ज़नवी
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