बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ के कुछ उदाहरण। 1121 2122 1121 2122, લલગાલ ગાલગાગા લલગાલ ગાલગાગા
ہوئے مر کے ہم جو رسوا ہوئے کیوں نہ غرق دریا
نہ کبھی جنازہ اٹھتا نہ کہیں مزار ہوتا
हुए मर के हम जो रुस्वा हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया
न कभी जनाज़ा उठता न कहीं मज़ार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
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