मैं नहीं वो जो सब की हाँ में हाँ मिलाऊँगा
जिस तरफ़ से रोकोगे उस तरफ़ से जाऊँगा
उसके चाँद तारों का बोझ क्यूं उठाऊँगा
मैं मेरी ज़मीन पर ही आसमां उगाऊँगा
तुम मेरी तबाही से बेसबब परेशां हो
जाओ मैं किसी से भी कुछ नहीं बताऊँगा
जो चमन में रहता है वो ख़िज़ा का दुख झेले
मैं बहार के नक़्शे रेत पर बनाऊँगा
आज रात यादों की काट-छाँट करनी है
कुछ दीये जलाऊँगा कुछ दीये बुझाऊँगा
क्या ख़बर थी ये बादल पानी फेर जाएँगे
आज मेरी ख़्वाहिश थी धूप से नहाऊँगा
बेनज़र अंधेरों से क्या बहस करूँ 'ताबिश'
मुझको जगमगाना है और मैं जगमगाऊँगा
-ज़ुबैर अली ताबिश
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