Friday, March 4, 2016

दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई..... सब की बारातें आईँ डोली तू भी लाना...

पहली नज़र में काफ़ी अलग अलग ये दो गानों के मुखडे एकदूसरे से काफ़ी मिलते-झुलते प्रतीत होते है। प्रस्तुत है दोनो गानों की यूट्यूब लिंक्स: (पहले गाने के गीतकार हसरत जयपुरी और दूसरे गाने के गीतकार मजरूह सुलतानपुरी है।)

दुनिया बनानेवाले क्या तेरे मन मे समाई 
काहे को दुनिया बनाई, तूने काहे को दुनिया बनाई 

काहे बनाये तूने माटी के पुतले 
धरती ये प्यारी प्यारी, मुखड़े ये उजले 
काहे बनाया तू ने दुनिया का खेला 
जिस में लगाया जवानी का मेला 
गुपचुप तमाशा देखे, वाह रे तेरी खुदाई....काहे को दुनिया बनाई  

तू भी तो तड़पा होगा मन को बनाकर 
तूफां ये प्यार का मन में छुपाकर 
कोई छबी तो होगी आँखों में तेरी 
आँसू भी छलके होंगे पलकों से तेरी 
बोल क्या सूझी तुझको, काहे को प्रीत जगाई 

प्रीत बना के तूने जीना सिखाया 
हसना सिखाया, रोना सिखाया 
जीवन के पथ पर मीत मिलाये 
मीत मिला के तूने सपने जगाये 
सपने जगा के तूने, काहे को दे दी जुदाई



सब की बारातें आईँ डोली तू भी लाना
दुल्हन बनाके हम को राजा जी ले जाना......सब की बारातें आईँ 

चाहा था मैंने, सोचा था मैंने
क्या क्या थे अरमाँ दिल-ए-नादां के

आँखों में आँसू आए पर कोई ना आया
अब तो किसी को भी अपनाके है बुलाना......सब की बारातें आईँ 

इन आँखों में थीं, इक रात सजी
हाथों में कभी चूड़ी सी बजी
पर आँख खुली तो आया नज़र न रात सजी न चूड़ी बजी

मेरा टूटा था दिल, उसकी झनकार थी,
सारा वो रंज था मेरे खून-ए-दिल का,

ये तो है रोना दिल का काहे का तराना,
अब तो किसी को भी अपनाके है बुलाना......सब की बारातें आईँ 

सब की बारातें आईँ डोली तू भी लाना
दुल्हन बनाके हम को राजा जी ले जाना......सब की बारातें आईँ

चलो जो भी हुआ, वो खूब हुआ
अब हर कोई महबूब हुआ
है सब के लिए ये रात मेरी
अब तो है यही औकात मेरी

हँस के भीगी पलक चमकाना है
सूनी बाहें अदा से लहराना है

ग़म खाके आँसू पीके महफ़िल में जाना
अब तो किसी को भी अपनाके है बुलाना.




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