बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून के कुछ उदाहरण-2. 2122 1212 22
(11)
بندگی ہم نے چھوڑ دی ہے فراز
کیا کریں لوگ جب خدا ہو جائیں
बंदगी हमने छोड़ दी है फ़राज़
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
- अहमद फ़राज़
(12)
درد ہو تو دوا کرے کوئی
عشق گر ہو تو کیا کرے کوئی
दर्द हो तो दवा करे कोई
इश्क़ गर हो तो क्या करे कोई
- मिर्ज़ा असमान जाह अंजुम
(13)
નવમા ધોરણની પલ્લવી પંડ્યા,
ઘંટ વાગ્યો અને પરી થઈ ગઈ.
- અદમ ટંકારવી
(14)
રૂપ એનું જફા-નિપુણ છે તો
પ્રેમ મારો વફા-વિશારદ છે
- અમૃત ઘાયલ
(15)
کیا ستم ہے کہ اب تری صورت
غور کرنے پہ یاد آتی ہے
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
- जौन एलिया
(16)
जाने क्या हो गया है मौसम को ,
धूप ज़्यादा है चाँदनी कम है
- आरफ़ा ख़ानम शेरवानी
(17)
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
- गुलज़ार
زندگی یوں ہوئی بسر تنہا
قافلہ ساتھ اور صفر تنہا
(18)
हम-सफर चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
- अहमद फ़राज़
ہم سفر چاہیئے ہجوم نہیں
اک مسافر بھی قافلہ ہے مجھے
(17)
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
- गुलज़ार
زندگی یوں ہوئی بسر تنہا
قافلہ ساتھ اور صفر تنہا
(18)
हम-सफर चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
- अहमद फ़राज़
ہم سفر چاہیئے ہجوم نہیں
اک مسافر بھی قافلہ ہے مجھے
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